Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कैसे महसूस करू ?

 

था एक चित-परिचित का शुभ काम
बंध रहे बंधनों में
पूरे परिवार के लिए
था खुशी का माहौल छाया
उस खुशी से मुझको भी जुड़ना है।
अगर चित-परिचित पर मुझको
अपना प्रेम प्रकट करना है।
वही एक ओर अभागनी से
नाता भी याद आता है
जिसके सुपुत्र को कुछ दिनों से
घोर बीमारी का साया है।
सुख के पल को, दुःख के पल के संग
जीने का मेरा इरादा है।
असमंजस से घिरा मैं,
कैसा महसूस करू ?
इस धूम-धड़ाके के अवसर पर
कैसे खामोश रहूँ ?
वही सफेद चादर के बिस्तर पर
कैसे दुःख बाँट सकू ?
इस ओर तो बेहद खुशहाली,
वहाँ दुःख की गंगा बहने लगी।
किस ओर चलू, कैसे क्या करू ?
कैसे महसूस करू ?

 

 

 

Rakesh Joshi

 

 

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