गुरु की है महानता, आज मेरे द्वार पर,
शीश-भाल झुकता है, आशीर्वाद दीजिए,
मर्यादा कम हो नहीं, सेवा और स्वार्थ की,
खड़ा हूँ द्वारपाल सा, आज्ञा कुछ कीजिये,
शब्द- साधना सफल, सफल हो छंद ज्ञान,
भाषा के भाव सरस, प्रवाह यों कीजिये,
गौतम मौन मांगता, अवरोध-प्रतिरोध,
पावन- पुनिती द्रष्टि, आप और डालिए
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