Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

कविता

 

गीत सब छंद- बंद, मोहे मन मंद- मंद,
गीत की गुहार चढी, कविता है जानिये,
भाव और भावुकता, उठे बार- बार कह,
प्रेम के प्रसंग संग, गीत सत्य मानिये,
लिखते रहें घनन, हम घनाक्षरी नित,
पर मात्राओं का रूप, कुछ जान लीजिये,
प्रथम भाव गौतम, गीत को सुधार कर,
लय- ताल भी सुधार, गुन-गुना लीजिये |

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ