Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

रिश्तों के हाइकु

 


सुख – दुःख में
रिश्ते बुलाते गाँव
भूले तो छूटे ||


लंगोटी यार ,
राखी भाई का रिश्ता
मन से निभा ||


रिश्ते अपने
समर्पण माँगते
दोनों से निभे ||


स्वार्थ बिगाड़े
रिश्तों का ताना – बाना
छल उपजे ||


सदा ही खुला
रिश्तों का दरवाजा
मार्ग दोराहा ||


रिश्तों के गाँव
सदा लम्बी है छाँव
रुतबा बड़ा ||


रिश्ते बचाना
दुनिया जादू – टोना
दुआ ही दवा ||


बेटी की डोली
गाँव विदा हो जाता
हड़प्पा बाकी ||


रिश्ते निभते
युगों की परंपरा
बेटी के जिम्मे ||

 

 

 

रमेश कुमार सोनी

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ