Ram Kishore Pawar Betul
11:39pm May 20
शिवराज मामा की भांजियों की मांग में
भरा गया उधार का सिंदूर……….?
बैतूल, रामकिशोर पंवार: मध्यप्रदेश की लाखों लाड़ली लक्ष्मियों के जगत मामू शिवराज सिंह चौहान के राज में उनकी भांजियों की मांग में भरा जाने वाला सिंदूर भी उधार के पैसे का हैं। कांग्रेस पार्टी ने इस उधार के सिंदूर के मामले में शिवराज सिंह चौहान को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया हैं। सबसे के प्यारे जगत मामू शिवराज सिंह चौहान की अति महत्वाकंाक्षी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में गरीब भांजियों के सरकारी खर्च पर हाथ पीले और उनकी मांग में सिंदूर भरने की व्यवस्था तो कर दी गई लेकिन जिस विभाग के पास पैसे नहीं उसने मुख्यमंत्री को शर्मसार करने में पीछे नहीं छोड़ा और विधवाओं और परित्याक्ताओं के फंड से पैसे उधार लेकर मुख्यमंत्री की भांजियों की मांग भर दी। पूरे मामले का खुलासा उस समय हुआ जब पता चला कि बैतूल जिले में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के लिए प्रस्तावित गरीब कन्याओं के कन्यादान के लिए एक करोड़ बीस लाख रूपए खर्च कर डाले लेकिन आयोजक विभाग के पास मात्र 55 लाख रूपए ही थे। शेष राशी सामाजिक न्याय विभाग ने विधवाओं और परित्याक्ताओं के फंड से ही उधार लेकर सामूहिक विवाह करवा डाले। वैसे भी जिले में विधवाओं और परित्याक्ताओं महिलाएं भी सरकारी सहायता के लिए दर – दर की ठोकरे खा रही हैं और प्रशासन उन रूपयो को उनके सही हकदार को न देकर इस तरह उधार के पैसे से मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का पलीता करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा हैं। अपनी भांजियों के लिए उधार के पैसो से सिंदूर का जुगाड़ करने के मामले के प्रकाश में आने के बाद क्या मुख्यमंत्री अपने कल के बैतूल जिले के प्रवास के दौरान अपनी भांजियो से नज़र मिला पाऐगें जिनकी मांग का सिंदूर भी उधार के पैसो का हैं..? जिले में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सामूहिक विवाह के लिए सामाजिक न्याय विभाग द्वारा शासन से एक करोड़ रूपए की मांग की गई थी। इस मांग पत्र पर शासन द्वारा महज बीस लाख रूपए ही अप्रैल माह में आवंटित किए गए। इस मामूली राशि से ही जिले में लक्ष्य किए गए दो हजार कन्याओं का कन्यादान प्रशासन को करवाना है। जिले में अभी तक सात जनपदों द्वारा 1393 कन्याओं का सामूहिक विवाह में कन्यादान किया जा चुका है। इसमें प्रत्येक कन्या पर खर्च होने वाले दस हजार रूपए के हिसाब से एक करोड़ चालीस लाख रूपए सात जनपदों को दिए गए हैं। अभी तीन जनपदों में करीब 600 कन्याओं का सामूहिक विवाह होना है। इसमें 60 लाख रूपए का खर्च आंका जा रहा है। इस तरह से दो करोड़ रूपए सामूहिक विवाह पर खर्च हो रहे हैं। जिले की सात जनपदों द्वारा सामूहिक विवाह में किए गए खर्च को लेकर जब सामाजिक न्याय विभाग से तकाजा करना शुरू किया गया तो सामाजिक न्याय विभाग ने निराश्रितों के फंड से पचास लाख रूपए की राशि निकालकर जनपदों को भुगतान कर दिया। पचास लाख सहित पुराने 35 लाख और नए 20 लाख मिलाकर कुल एक करोड़ रूपए का भुगतान किया गया। शासन से फंड न मिलने के कारण कन्यादान योजना में जो नौ हजार रूपए की सामग्री कन्याओं को दी गई वह सब निराश्रित फंड के पैसे से ली गई उधारी में ही खरीदी गई है। इस सामग्री में कन्या के मांग में भरे जाने वाले सिंदूर से लेकर पैर में पहने जाने वाली बिछिया तक शामिल है। वहीं प्रत्येक कन्या के हिसाब से विवाह में भोजन सहित पंडाल आदि का एक हजार रूपए जनपदों ने खर्च किया वह भी विधवाओं और परित्याक्ताओं के फंड से लिया गया है। गौरतलब है कि निराश्रितों का जो फंड है वह शासन द्वारा दिया गया फंड नहीं है, बल्कि यह राशि कृषि उपज मंडी में होने वाली आय से दो प्रतिशत के रूप में सामाजिक न्याय विभाग को प्राप्त होती है। बताया गया कि इसके पहले भी सामूहिक विवाह में निराश्रित फंड का उपयोग किया गया था और राशि भी करीब एक से डेढ़ साल बाद वापस की गई और इस राशि पर कोई ब्याज भी नहीं दिया गया। वैसे नियमानुसार इस तरह किसी अन्य फंड का पैसा किसी अन्य कार्य में नहीं किया जा सकता है। यह वित्तीय नियमावली का उल्लंघन माना जाता है। इसलिए यह गलत है। गौरतलब है कि निराश्रितों का जो फंड है वह शासन द्वारा दिया गया फंड नहीं है, बल्कि यह राशि कृषि उपज मंडी में होने वाली आय से दो प्रतिशत के रूप में सामाजिक न्याय विभाग को प्राप्त होती है। बताया गया कि इसके पहले भी सामूहिक विवाह में निराश्रित फंड का उपयोग किया गया था और राशि भी करीब एक से डेढ़ साल बाद वापस की गई और इस राशि पर कोई ब्याज भी नहीं दिया गया। वैसे नियमानुसार इस तरह किसी अन्य फंड का पैसा किसी अन्य कार्य में नहीं किया जा सकता है। यह वित्तीय नियमावली का उल्लंघन माना जाता है। इसलिए यह गलत है। पूरे मामले को संज्ञान में लाने के बाद कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय शुक्ला के अनुसार मद परिर्वतन कर राशि खर्च नहीं की जा सकती है खासकर निराश्रित फंड की राशि का इस तरह से उपयोग किया जाना घोर निंदनीय एवं शर्मनाक बात हैं। एक प्रकार से यह वित्तीय नियमावली का उल्लंघन है और इसमें जिम्मेदार पर कार्रवाई होना चाहिए। युवक कांग्रेस के लोकसभा क्षेत्र के जिलाध्यक्ष संतोष पंवार का कहना हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की नौटंकी का अब पर्दाफाश होना शुरू हो गया हैं। प्रदेश की सरकार को तो पूरे मामले में सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगनी चाहिए थी क्योकि उन्होने ऐसा करके लाड़ली लक्ष्मियों एवं विधवाओं और परित्याक्ताओं का भी अपमान किया हैं। इधर पूरे मामले की जनक सामाजिक न्याय विभाग की उप संचालक श्रीमति सुचिता बेक तिर्की का कहना हैं कि शासन से बीस लाख रूपए ही प्राप्त हुए थे। ऐसी स्थिति में निराश्रित फंड के पैसे से जनपदों को सामूहिक विवाह के खर्च की राशि दी गई है। जैसे ही शासन से राशि मिलेगी वापस फंड में जमा करा दी जाएगी। श्रीमति तिर्की यह बता नहीं सकी कि फंड कब आएगा और तब तक उस पैसो की सही हकदार विधवाओं और परित्याक्ताओं क्या करे।
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