Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

रवि कलाल

 
  • लिपट आऊँ तिरंगे में ,यहीँ अरमान दिल में है।

    भगत सिंह प्रेरणा मेरी,वहीँ बलिदान दिल में है ।

    मेरी ये जान जिससे है और अभिमान जिसपे है,

    मेरा मेहबूब ,मेरा यार हिंदुस्तान दिल में है ।।

     

  • सनातन धर्म है अपना ,इसी से आन हमारी है ।

    मिट न पाये जो किसी से, वही पहचान हमारी है ।।

    न जाने क्यों भटकता है,आज मेरे देश का युवा

    विवेकानंद से युवा,तभी तो शान हमारी है ।।

     

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ