Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रात अभी लंबी है

 

रात अभी लंबी है |
टूटने दो तारों को,
सिसकने दो आसमान को बादलों के सहारे,
चीखने दो ,चमकने दो,
कौन है देखने को उसकी अंतर्दशा ,
उसका संताप,
बस मजे लो,त्योहार मनाओ,
मांगो वरदान टूटते तारों से,
अंशुओं से सींचो खुद को,
उर्वर बनो|
तालियाँ बजाओ चीखो पे|
सपने पूरा करो चमक के नीचे|
और नवाजों रात को,
हसीन लफ्जों से,
बंजर,निरश ,बोझिल,घनघोर, काली.............
बस नहीं ,सजाते रहो|
रात अभी लंबी है|

 

 

रवि कुमार चमन

 

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