मैं कब कहता हूँ ,
तुम मुझे पूजो ,
मैं बस यह चाहता हूँ ,
तुम मुझे महसूस करो |
मैं कब कहता हूँ ,
तुम धर्म ग्रंथों का वरण करो ,
मैं बस यह कहता हूँ ,
तुम धर्म ग्रंथों से अच्छी बातों को आत्मसात करो |
मैं कब कहता हूँ ,
तुम अपनों का खून बहाओ ,
मैं बस यह कहता हूँ ,
तुम एक दूसरे से मिलकर रहो |
मैं कब कहता हूँ ,
ईश्वर अलग-अलग है ,
मैं बस यह कहता हूँ ,
हर इंसानों में मैं ही हूँ |
मैं कब कहता हूँ ,
तुम अधर्मी बनो ,
मैं बस यह कहता हूँ ,
तुम धर्मी नेक बनो |
मैं कब कहता हूँ ,
तुम जाति-पाति में बधे रहो ,
मैं बस यह कहता हूँ ,
तुम प्यार के बंधन में में बधे रहो |
मैं कब कहता हूँ , मैं नहीं हूँ ,
मैं बस यह कहता हूँ ,
मैं हूँ भी और नही भी |
मैं कब कहता हूँ ,
मैं नजर नहीं आता ,
मैं बस यह कहता हूँ ,
तुम मुझे देखकर तो देखो |
मैं कब कहता हूँ ,
तुम अपने गुरुओं , बड़ों , माता-पिता का अपमान करो ,
मैं बस यह कहता हूँ ,
तुम उनका आशीर्वाद लेकर अपने जीवन को मोक्ष के अनुरूप बनाओ |
रवि कुमार गोंड़
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY