बिहार राज्य का विधानसभा का चुनाव चल रहा है. जिसके चार चरण पूरे हो गए हैं. आखिरी और पांचवें चरण का मतदान 5 नवम्बर को होना है. आखिरी पड़ाव के लिए सभी राजनीतिक दल और ज्यादा सक्रिय हो गए हैं. शब्दों के वार और तीखें हो गए हैं. बिहार में एक तरफ एनडीए तो दूसरी तरफ महागठबंधन है. बिहार के गलियों में जब से चुनावी हवा गर्म हुई पीएम मोदी जी की अग्नि परीक्षा शुरू हो गई. दिल्ली के विधानसभा के चुनाव के नतीजों ने जिस तरह से बीजेपी को चौकाया था वैसा वाक्या बीजेपी बिहार में नही दोहराना चाहेगी. साथ ही जदयू और राजेडी के साथ बना महागठबंधन किसी हाल में मोदी के विजय रथ को रोकने में कोई कसर नही छोड़ना चाहते. करीब ढेड़ साल बीजेपी की केंद्र में सरकार आए हो गए हैं. लेकिन बिहार चुनाव के माहौल ने ये बता दिया कि चुनावी माहौल से देश का महौल जुड़ा है. आज कल खबरिया चैनलों पर हर रोज एक बहस देखने को मिलती है. देश का माहौल खराब हो रहा है. अगर हो रहा है तो किसने किया. बहस में आए राजनेता प्रधानमंत्री मोदी को कोसने बैठ जाते हैं. मोदी सरकार ने पूरे देश का माहौल खराब कर दिया है. सही मायने में लगता तो ये है कि ये चुनावी माहौल है. नतीजे आने के बाद सब शांत हो जाएगा. गंदी राजनीति ने देश को अच्छे से जकड़ रखा है. विपक्ष का काम होता है सरकार के गलत कार्यों का विरोध करना, साथ ही अच्छे कामों को सराहना भी. देश के माहौल को लेकर लेखक लोग भी आगे आ खड़े हुए है. लो भइया मुझे जो साहित्य पुरस्कार मिला वापस कर रहा हू. देश में असहिष्णुता का माहौल है. आज से पहले तो उन्हें नही दिखा देश में क्या हो रहा है. देश में इतने सारे घोटाले हुए तब नही लगा कि पुरस्कार वापस कर देना चाहिए. उनके समर्थन में फिल्मकार, इतिहासकार, और वैज्ञानिक पुरस्कार वापस कर दिया. इन लोगों को सबसे पहले लग गया कि देश का माहौल खराब है. और सरकार जिम्मेदार है. तो माहौल कैसे ठीक किया जाए इसके लिए कोई लेख या सुझाव लिखों. कैसे लगता है कि देश में असहिष्णुता बढ़ गई है. देश में मंहगाई ने लोगों की कमर तोड़ रखी है, पहले प्याज, फिर दाल और अब सरसों के तेल ने लोगों के जेब पर डाका डाल दिया है. अगर आप को डर था कि मोदी सरकार आएगी तो देश का माहौल खराब होगा तो सरकार क्यों चुनी. वो भी पूर्ण बहुमत से.पीएम मोदी के सत्ता में आते ही उनकी अग्नि परीक्षा शुरू हो गई थी. पहले कालाधन वापस लाने को लेकर घेरा गया. और थोड़ा सही भी था ये वादा 100 दिन के अंदर का था. जो नही पूरा हुआ. लेकिन सरकार इसपर काम कर रही है. फिर विदेश के दौरे को लेकर, जिस देश को पिछले 10 सालों से तवज्जों नही मिल रहा था. आज वो भी सीनातान कर खड़ा है. लेकिन देश में पिछले कुछ दिनों को लेकर यह कहना गलत नही कि मोदी सरकार की असली अग्नि परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव से शुरू हुई है. जब से चुनाव को हरी झण्ड़ी मिली तब से बहुत कुछ देखने को मिला है. पहले दादरी काण्ड की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई. जिसे लेकर खूब राजनीति की रोटी सेकी गई. ऐसे हादसों का शिकार बेचारा गरीब और लाचार होता है, और राजनीति की रोटी राजनेता सेकते है. अब इसमें मोदी का क्या कसूर था. उन्होने निंदा की. आरोपियों को पकड़ा गया. जांच चल रही है. कुछ दिनों बाद वीफ का मुद्दा ऐसा उठा जिसमें राजनेताओं के अनरगल बयान शुरू हो गए. कोई कहता है कि ऋषि मुनि भी खाते थे, तो कोई कहता है कि हिंदू भी खाते हैं, फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री का बयान ने बवाल मचा दिया. उसके लिए भी मोदी जिम्मेदार. कन्नड़ लेखक की कलबुर्गी की हत्या हुई. जो काफी दुखद बात है. जिसका विरोध लेखकों की तरफ से चल रहा है. इसके लिए भी क्या मोदी सरकार जिम्मेदार है ? मुम्बई में पाक का पूरी तरह से विरोध शिवसेना ने किया, इसके लिए भी मोदी सरकार जिम्मेदार है. सारी हरकत शिवसेना की थी. महाराष्ट्र में शिवसेना आज से नही बाला साहब बाल ठाकरे के जमाने से ऐसे ही सक्रिय है. उस समय इन सबकों देश के माहौल की चिंता क्यों नही हुई जब महाराष्ट्र से यूपी, बिहार के लोगों को भगाया जा रहा था. आज कह रहे है लोकतंत्र को खतरा है. देश की भावना के साथ खिलवाड़ करना छोड़ दीजिए. 60 सालों तक राज किए हो, आप को भी देश ने देखा है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी साम्प्रदायिकता को लेकर खूब प्रचार प्रसार किया गया. नतीजा शून्य था. आज भी वही हो रहा है. ये सारा खेल सत्ता की कुर्सी पाने के लिए चल रहा है. बिहार का विधानसभा चुनाव खत्म होने वाला है. जिसमें विकास के मुद्दे को छोड़ बाकी सारी बातें हो चुकी हैं. चुनाव बिहार का और माहौल देश का. बिहार का ये चुनाव इन राजनीतिक दलों के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नही है. . 8 नवम्बर को नतीजों के बाद देश फिर से कुछ दिनों के लिए सामान्य हो जाएगा. फिर राज्य के चुनाव में देश का माहौल तय किया जाएगा.
रवि श्रीवास्तव
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