बचपन में उंगली पकड़कर, चलना सिखाया है,
जिंदगी में आगे बढ़ने का, रास्ता दिखाया है.
दिन में की मेहनत और रातों को सोचना
हसतें हुए मुझको है, तुझे तो देखना.
ख्वाब बस आता है, तेरे भविष्य का,
हरपल खुशियां देकर, ग़म उठाकर है चला.
साथ साथ चलता था तेरे, न था किसी का डर,
तेरे दम पर हौसले हैं, न है कोई फिकर.
जीवन के अधिंयारों को, रोशन तूने किया,
तू न होता तो अगर, बुझ जाता ये दिया.
जलती धूप में छांव बनकर, सिर पर छाया किया,
त्याग देकर अपनी हंसी का, मेरी जिद को पूरी किया.
क्या ग़लत है, क्या सही, तूने है सिखलाया,
जीवन है इक संघर्ष, यह भी है बतलाया.
टूट न जाना कभी कठिनाइयों को देखकर,
साथ होगा तेरा पिता, जिंदगी की हर मोड़ पर.
अगर मै हूं धरती, तो तू आसमान है,
धरती पर पिता के रूप में तू तो भगवान है.
ऐ मेरे पिता तू तो महान है.
रवि श्रीवास्तव
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