एक बार फिर से कुर्सी का स्वयंवर सज चुका है। ये कुर्सी का स्वंयवर दो राज्य जम्मू कश्मीर और झारखण्ड के लिए है। दोनों राज्यों के सरकार का कार्यकाल पूरा हो रहा है। राष्ट्रीय पार्टी के साथ- साथ क्षेत्रीय दलों ने भी इस दीवानगी में अपनी कमर कस रखी है। दोनो राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे है। आरोपों और प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। विधान सभा चुनाव जीत राजनीतिक दलों में इस कुर्सी को पाने की लालसा बढ़ती जा रही है। होना भी चाहिये आखिर इस पर बैठने का अहसास ही अलग है। देश के दो बड़े राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा के अलावा राज्य स्तरीय पार्टी ने भी अपना दम दिखा रही है। सभी दल अपने-अपने मुद्दे लेकर इस स्वयंवर में उतर रहे गए हैं । देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, घोटालों और मंहगाई ने एक तरफ कांग्रेस की साख गिराई। जिसकी भरपाई लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस अभी तक झेल रही है। हाल में महाराष्ट्र और हरियाणा राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस गच्चा खा चुकी है। कांग्रेस अपनी साख बचाने के लिए सोचने पर मजबूर है। वही दूसरी तरफ लोकसभा के चुनाव में पूर्ण बहुमत पाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने हाल में हुए महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव में अपना दबदबा कायम रखा है। और अब अपने कदम झारखण्ड और जम्मू कश्मीर की ओर अग्रसर कर रही है। जीत की तैयारी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धडल्ले से दोनों राज्यों में अपनी रैलिया जारी रखे है। अपनी रैली के सम्बोधन में मोदी कांग्रेस पर निशाना साधने में जरा सा नही चूकते हैं। मोदी की रैली ने राजौरी जिले में अब तक हुई राजनीतिक रैलियों में सबका रिकार्ड तोड़ दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ मौजूद थी। यह पहली बार ही हुआ है। इससे पहले जिले में आयोजित होने वाली जनसभाओं में कभी भी दस हजार से ऊपर लोगों की भीड़ जमा नहीं हो पाई थी। ऐसा लगता है आम चुनाव से लेकर अभी तक मोदी लहर का पूरा असर है। जिसे देखते हुए एक बार फिर कांग्रेस लोकसभा के चुनाव की तरह फिर से कह रही है कि मोदी की कोई लहर नही है। कांग्रेस ने श्रीनगर में आज हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को ‘बेअसर’ करार देते हुए कहा कि उनके भाषण में कोई तालमेल नहीं था सिर्फ एक ‘कोरा प्रचार’ किया गया था। बात कुछ भी हो लेकिन कांग्रेस कुछ हताश नज़र आ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस की साख बचाने में जुटे हैं। अपनी हर रैली में नरेंद्र मोदी पर हमला करने में जरा सा परहेज नही करते है। काला धन वापस लाने का मुद्दे को कांग्रेस ने अपना ऐजेण्डा बना लिया है। सही भी है भाजपा ने वादा तो किया था। लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नही दिखा। जिससे लगे कि कालाधन वापस आ जाएगा। बड़ी बाते तो बहुत की जाती हैं पर उसे पूरा करने की जरूरत होती है। धीरे-धीरे 6 महीने बीत गए और धीरे धीरे 5 साल बीत जाएगें। फिर आने वाले चुनाव में कालाधन का मुद्दा क्या प्रमुखता से उठेगा ?
नतीजा कुछ भी आये पर ये स्वयंवर देखने लायक होगा। किसको मिलता है ये सौभाग्य और अपनी दीवानगी की सारी हदें पार कर इस कुर्सी को कौन हांसिल करेगा। आने वाले दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे ही बताएगें ।
Ravi Srivastava
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