Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इक अंजान लड़की

 

इक अंजान लड़की से, मुलाकात हो गई
आखों आखों में ही सही, बात हो गई
बन बैठा उसका दीवाना, नाम क्या है ये भी जाना
खोजता हूं उसका ठिकाना, जैसे कोई पागल दीवाना।
इक अंजान लड़की से, मुलाकात हो गई।
उसकी तश्वीर आखों में, इस कदर बस गई,
दिन का चैन रातों की, नींद उड़ गई।
इक अंजान लड़की से, मुलाकात हो गई
आखों आखों में ही सही, बात हो गई
कैसे बयां करू मैं, अपने इस हाले दिल का,
चढ़ गया है मेरे ऊपर ,भूत मोहब्बत का
देख कर उसको लगे, बस देखता रहूं
प्यार में उसके जियों, और प्यार में मरूं।
मेरी वह धड़कन की, मेहमान बन गई
इक अंजान लड़की से, मुलाकात हो गई।
सोचता हूं उससे मिलकर,बता दूं दिल की बात
दिल बोले बोल दे ,पर जुबां न देती साथ
जिंदगी जीने की, बन गई वो तो आस
आखों से न हो ओझल, रखूं मैं दिल के पास।
उसका चेहरा जब मैं देखूं, मिल जाता सुकून
कुछ नही ये था, मेरे प्यार का बस जुनून।
उसके बिना जिंदगी मेरी, बेजान हो गई।
इक अंजान लड़की से, मुलाकात हो गई
आखों आखों में ही सही, बात हो गई

 

 

 

रवि श्रीवास्तव

 

 

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