कभी सोचा न था ऐसी गलती करूंगा,
दिल से चाहा जिसे उसको दर्द तो दूंगा।
आवेश में आकर उठ गया वो कदम,
जिसके चेहरे को देखकर जीते थे हम।
हो रहा पछतावा न माफ़ी मिली,
जाने कैसी थी ये मेरी दिल्लगी।
अब तो आखों से अश्क हूं ही बहते रहें,
हर पल मुझसे यही कहते रहें।
हो गए है वो इस कद़र तो खफ़ा,
भूल को अब मेरी माफ़ कर दो ख़ुदा।
जिंदगी में नही ऐसी गलती करूंगा,
खुशियां उनको देकर सारे ग़म को सहूंगा।
रवि श्रीवास्तव
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