चलो मै कायर ही सही,
आप की तरह लायर तो नही।
वादों पर अपनी रहता हूं अड़ा
भाव यूरिया का कुछ ऐसे बढ़ा,
न देखी है धूप न ही छांव को,
कंधे पर फावड़ा हरपल साथ हो।
मेहनत में मेरे नही थी कोई कमी,
फसल को उगाने मे तैयार की जमीं।
धरती का सीना चीर कर अनाज उगाया,
फिर भी भर पेट खाना न खा पाया।
बैंक के लोन में दो पहले कमीशन,
तब जाकर मिलती है परमीशन।
एक दिन साथ मेरे खेतों में काम करो
फिर चाहे जितना मुझे कायर कहो।
कर्ज के बोझ कुछ लोगों ने
कदम गलत लिया उठा।
न निराशा हो वो, बड़ा दो उनका हौसला।
किसान हूं मैं कोई अरबपति तो नही
भूखें रहकर भी कटती है जिंदगी।
चलो मै कायर ही सही,
आप की तरह लायर तो नही।
रवि विनोद श्रीवास्तव
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