Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रिक्शा चालक

 

पता नहीं क्यों लोग मुझे,
घृणा की नज़र से देखते हैं

 

 

ग़ाली की बौछार के साथ
हम पर हांथ सेकते हैं

 

 

ताने सबके मुझको सुनना
पुलिस का भी डंडा सहना

 

 

जिसको देखो देता धक्का
बोलने पर मिलता है मुक्का

 

 

बिना भेद-भाव के सैर कराता
सबको मंज़िल तक पहुंचाता

 

 

सड़क पर चलना मुश्किल मेरा
कहा जाएं अब लेकर डेरा

 

 

दिन भर करता मेहनत पूरी
तब जाकर मिलती मज़दूरी

 

 

आखिर मेरा क्या है कसूर
आदमी हूं इतना मज़बूर

 

 

इतना सब सहकर के
परिवार का पेट पालता हूं

 

 

इस बेरहम दुनियां में
रिक्शा चालक कहलाता हूं

 

 

रवि श्रीवास्तव

 

 

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