Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सोच समझकर बोल बिलावल

 

इतिहास उठाकर पढ़ले तू, आज भी वही है जो था कल
बहुत गरज चुका है अब, सोच समझकर बोल बिलावल।
छोटा समझकर मॉफ किया, चुल्लू भर पानी में डूब,
दुनिया नही देखी है तूने, बन बैठा है कूप मंडूप।
कायर नही है तेरी तरह, जो पीछे से वार करते हैं,
भारत मां के लाडले हम, मरने से नही डरते हैं।
धोखा बसा है तेरे नस में, और नही कुछ तेरे बस में,
बात मान ले प्यार से तू, हाथ डाल रहा शेर के मुंह में।
मक्कारी देख के तेरी, हर बार दिल तो दहलता है,
छोटे की गलती को , बड़ा ही मॉफ तो करता है।
सहनशीलता को कमजोरी न समझो,
कश्मीर के बारे में सपनों में न सोचो।
अंजाम होगा फिर तेरा बत्तर
नसीब नही होगी फिर चद्दर।
इतिहास उठाकर पढ़ले तू, आज भी वही है जो था कल
बहुत गरज चुका है अब, सोच समझकर बोल बिलावल।

 

 


रवि श्रीवास्तव

 

 

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