Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सुधरो पाक, देगें साथ।

 

पाकिस्तान को आंतक का मुखौटे के रूप में संसार देखता है। हर किसी के जुबान पर अगर आंतकवाद की बात की जाए तो पहला नाम जे निकल कर आता है वह पाकिस्तान होता है। हर तरफ से पाक की छवि ख़राब हो रही है। उसका सिर्फ एक ही कारण है आतंकवाद। कई देश इस सम्स्या से जूझ रहे है। हर तरफ बस आतंकवाद से लड़ने की बात हो रही है। आखिर इसे इतना बढ़ावा क्यों मिल रहा है। आंतक का गढ़ कहे जाने वाले पाकिस्तान भी इससे परे नही है। रह-रह कर वहां भी ये अपनी दहशत फैलाने से बाज नही आ रहे हैं। आए दिन जम्मू कश्मीर की सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लघंन पाक की तरफ से किया जाता है। आंतकवादियों और जवानों के बीच मुठभेड़ होती रहती है। कितने बेगुनाहों की जान चली जाती है। लेकिन इन दहशतगर्दों के इससे क्या मतलब है। इन्हें बनाया ही इसलिए जाता है। कठपुतली की तरह इशारों पर नाचाया जाता है। और बेसमझ ये एक खिलौने की तरह काम करते है। सिर्फ जन्नत पाने के लिए। अरे कौन देखता है कि किसे जन्नत मिली है, किसे दोजक। जो बेजुबान रोबेट की तरह काम करने वालों एक बार अपने मुखिया से कह दो कि आप भी हमारे साथ चलकर देखों और साथ में जन्नत का सैर-सपाटा करों। तब खुद को समझ में सारी बातें आ जाएगीं की जिंदगी की कीमत क्या है। जो बिना कसूरवार लोगों को कीड़ो मकोड़ों की तरह समझते हो। बाघा बॉर्डर पर फ्लैग लोअरिंग सेरमिनी के बाद निकल रहे लोग को देखते हुए आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ा लिया।अपना तो गया इस दुनिया और अपने आका के नज़रों से साथ सैकड़ों लोगों के घर को भी बर्बाद कर दिया। । झण्डे को नीचे उतारने वाले समारोह को लेकर रोज दोनों देशों के नागरिक भारी संख्या में एकत्रित होते हैं। ऐसे में ये फियादीन हमला होना सुरक्षा की सारी पोल खोल देता है। आखिर 20 से 25 साल के बीच का वह लड़का 25 किलो की विस्फोटक सामग्री लिए हुए था। किसी को कानों कान ख़बर नही हुई। उस लड़के को बॉर्डर के परेड ग्राउण्ड के पास रोका गया तब उसने खुद को उड़ा लिया। आखिर परेड ग्राउण्ड तक वो पहुंचा कैसे। शुरूआत में चेंकिग क्यों नही हुई। बॉर्डर जैसी जगह पर ऐसी लापरवाही कैसे हो गई। कहीं ऐसा ते नही था कि वह लड़का बाघा बॉर्डर के गेट के पास पहुंचना चाहता था। जिससे पाक के साथ भारत का भी नुकसान हो। और घबराहट में वह इस पूरी घटना को अंजाम नही दे पाया हो। बात करे अगर पाक की तो 2013 के सितम्बर माह में पेशावर के एक चर्च पर आत्मघाती हमला किया गया था। जिसमें लगभग 80 इसाई मारे गए थे। अलकायदा से जुड़े आतंकवादी समूह जनदुल्लाह ने ली थी। अब पाक के प्रधानमंत्री ने इसकी निंदा की और रक्षामंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने कहा कि सरकार आतंकवाद से लड़ने की प्रतिबद्धता दोहराएगी। कहते है कि जैसा बोओगो वैसा काटोगे। जब खुद पर बीतती है तब पता चलता है।सही गलत का मतलब। । आखिर क्यों ऐसा क्या है कि हम शांति से नही रह सकते। उनके नेताओं की बात सुनों तो लगता है कि उनके देश के अंदर जम्मू कश्मीर के अलावा कोई दूसरा मुद्दा नही है। कश्मीर दे दों कश्मीर हमारा है बस रट लगा रखी है। अरे कश्मीर का नाम जितनी बार लेते हो खुदा का नाम उतनी बार जप लो तो शायद जन्नत मिल जाए। जिसकी तलाश में हर तरफ आंतक फैल रहा है। जब कभी आंतक की बात उठती हा तो पाक अपने के अलग क्यों रखता है। आंतक के खिलाफ अगर उसे भी मुहिम चलानी है तो साथ मिलकर लड़े। लेकिन फिर कश्मीर का राग कैसे गा पाएगा। इन्ही के भरोसे तो स्वर्ग जैसे इलाके को डर का डेरा बना दिया है। अपना देश को सभाल नही पा रहे हैं। दांत दूसरे पर लगाकर बैठे है। दूसरों के लिए गढ्ढा खोदने वाले हमेशा उसे गढ़्ढे में गिरते हैं। सांप को दूध पिलाओगे तो कभी न कभी तो अपना रंग दिखाएगा और दूध पिलाने वाले को काटेगा। अभी भी वक्त है। सुधर जाओ, चेंत जाओ। नही एक वक्त ऐसा आएगा कि पछताओगे और कोई मद्द नही करेगा। पड़ोसी की तरह आपस में अच्छे व्यवहार से रहो। मेलजोल शांति रखो, एक ताकत की नई मिसाल बनाओ। दूसरों के पर्शनताप में जलकर तुम्हें कुछ नही मिलने वाला। नुकसान खुद का कर रहे हो। सार्क सम्मेलन में पाक के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेरूखी भी देखने को मिली। जहां पर भाषण सम्बोधन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखा तक नही। ये तो वही हाल है पहले चोरी फिर सीना जोरी। हालांकि भारत –पाक के रिश्ते के बारे में तो पूरा विश्व जानता है। किसी को बताने की जरूरत नही है। मतभेद लगातार बढ़ते जा रहे हैं। रिश्तों को सुधारने के बजाए बिगाड़ना ज्यादा अच्छा लगता है। बाद में दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने हाथ तो मिलाया पर क्या दिल मिले। शरीफ के अनुसार पाकिस्तान भारत के साथ मर्यादा और आत्मसम्मान के आधार पर रिश्ते चाहता है। लेकिन यह किस हद तक सही है। एक तरफ उधर हाथ मिले दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर के अरनिया में आतंकी और सेना के बीच मुठभेढ़ शुरू हो गई। सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान काठमांडू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ एक-दूसरे से आंखें नहीं मिला रहे थे। चलो बाद में हाथ तो मिला लिया। ये कुछ कम नही है। सार्क देशों के बीच पाकिस्तान ने भारत के दो प्रस्तावों पर पानी तो फेर ही दिया है। आवाजाही और माल परिवहन को बढ़ावा दिए जाने के करार पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया। चलो अगर आप भाई-चारा नही रखना चाहते तो कोई बात नही है। भारत से इतनी ईर्ष्या क्यों करते हो। इससे कुछ नही मिलने वाला है। दूसरे इसका पूरा फायदा उठाते आए हैं और उठायेगें भी। आपस में झगड़े से कोई फायदा नही। अगर आप भारत को बड़े भाई की तरह मानते हो तो हम भी इतने स्वार्थी नही हैं।

 

 

 

रवि श्रीवास्तव

 

 

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