Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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उड़ान

 

एक दिन बैठकर मैं,
बस यही सोचता था,

 

किस तरह से उड़ते हैं पक्षी, क्या उनकी उड़ान है।
गिरने का न डर है उनको, उनकी यह पहचान है,

 

सोचते सोचते आखिर, पहुंच गया उस दौर तक,
पंख तो होते हैं उनके, पर हौसलों में भी जान है।

 

कभी यहां तो कभी वहां, क्या गज़ब का खेल है,
पंख संग हौसले का, कितना प्यारा मेल है।

 

सीख लें पक्षी से हम सब, इस दुनिया की उड़ान में,
हौसला न हारो कभी, जीना पूरी शान में।

 

 

रवि श्रीवास्तव

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