पहर आख़िरी, बरस की आई,
रखना ना ज़रा , तुम रुसवाई,
आती है आहट, नई सुबह की,
खुशामदीद मेरी, सबको बधाई ।
' रवीन्द्र
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पहर आख़िरी, बरस की आई,
रखना ना ज़रा , तुम रुसवाई,
आती है आहट, नई सुबह की,
खुशामदीद मेरी, सबको बधाई ।
' रवीन्द्र
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