परेशां यूँ एक अज़नबी ने कर दिया,
ख्यालों ने तसव्वुर में घर कर लिया,
रहने न दिया कभी तन्हाई में मुझको,
ख़ुशी ओ' गम से बे- खबर कर दिया ।
' रवीन्द्र '
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परेशां यूँ एक अज़नबी ने कर दिया,
ख्यालों ने तसव्वुर में घर कर लिया,
रहने न दिया कभी तन्हाई में मुझको,
ख़ुशी ओ' गम से बे- खबर कर दिया ।
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