Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बात

 

बात ही बात में बात, बिगड़ जाये तो अच्छा,
न अज़ीज़े-पाक इस, जमीं पे आये तो अच्छा ।
सुने हैं अफ़साने- बंग, इनकी ही रहनुमाई के,
रहनुमा कश्मीर खुद को, ना बतायें तो अच्छा ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ