बात ही बात में बात, बिगड़ जाये तो अच्छा,
न अज़ीज़े-पाक इस, जमीं पे आये तो अच्छा ।
सुने हैं अफ़साने- बंग, इनकी ही रहनुमाई के,
रहनुमा कश्मीर खुद को, ना बतायें तो अच्छा ।
' रवीन्द्र '
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बात ही बात में बात, बिगड़ जाये तो अच्छा,
न अज़ीज़े-पाक इस, जमीं पे आये तो अच्छा ।
सुने हैं अफ़साने- बंग, इनकी ही रहनुमाई के,
रहनुमा कश्मीर खुद को, ना बतायें तो अच्छा ।
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