चाहतों के दम से दुनिया, सजी रही है, सदा रहेगी,
उम्मीद का दामन न छूटे, ता-क़यामत चाहत रहेगी ।
' रवीन्द्र '
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चाहतों के दम से दुनिया, सजी रही है, सदा रहेगी,
उम्मीद का दामन न छूटे, ता-क़यामत चाहत रहेगी ।
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