Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

क्षण - आनंद

 

रश्मियों का पुंज,
चैतन्य का अंश,
असीम आनंद,
चिर सत्य प्रबंध.

 

धरा पर प्रहार,
जड़ पर आघात,
विखंडित पुंज,
छिन्न भ्रंश.

 

चैतन्य विभेद,
उभरता खेद,
उदित अघांश,
आनंद अंत.

 

ज़रा भुक्ति,
दूर विमुक्ति,
पुण्यों का शमन,
दुःख आगमन.

 

अकेली आस,
चेतन अहसास,
शाश्वत की स्मृति,
मुदा से मुक्ति.

 

चैतन्य रंध्र,
ज्योतिर्मय पंथ,
सायुज्य अंश,
सत-चित-आनंद.

 

 

'रवीन्द्र', मुंबई.

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ