Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चिराग़

 

ना समझना कभी कि तुझे भूल पाऊँगा,
हाँ, ये अलग बात है कि ना कह पाऊँगा,
तू लौ मेरी, रोशनी है सभी , तेरे दम से,
बुझ गया चिराग तो मैं क्या कहलाऊँगा ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

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