Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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डगर

 

दौरान - ए - खिज़ां, तबस्सुम की नज़र,
बदल पदो - कफ़स, चला अस्रो - सफ़र,
मिली जो मसर्रत , राह भर था असर,
ढूँढ़े कौन जहाँ में , अब नई एक डगर ।

 

 

' रवीन्द्र '

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