Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिल तड़पे तेरे प्यार को

 

दिल तड़पे तेरे प्यार को,
ओ सजना,
दिल तड़पे तेरे प्यार को.

 

नयनों ने नीर निखारे ,
अश्क बहे होके कजरारे,
मचले तेरे दीदार को,
दिल तड़पे तेरे प्यार को,
ओ सजना,
दिल तड़पे तेरे प्यार को.

 

चित्त ने चंचल पंख सिकोड़े,
बिखराए कोमल कमल पंखुड़े,
मिलने को बेक़रार हो,
दिल तड़पे तेरे प्यार को,
ओ सजना,
दिल तड़पे तेरे प्यार को.

 

मनवा मन भर के हर्षाये,
ख़ुशी अंगों में ना समाये,
ढूंढे बिछड़े यार को,
दिल तड़पे तेरे प्यार को,
ओ सजना,
दिल तड़पे तेरे प्यार को.

 

तन ने सुमन सुगंध बसाई,
निरखि सब सुन्दरताई,
दिखलाने दिलदार को,
दिल तड़पे तेरे प्यार को,

 

ओ सजना,
दिल तड़पे तेरे प्यार को.

 

 

'रवीन्द्र'

 

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