किसी की शख्शियत की असल पहचान नहीं,
दीवार मेरे घर की है दर की इसे दरकार नहीं,
लिखता हूँ इसपे ख्याल वो मुझ में मौजूद नहीं,
है यहाँ बाबत शौक औ' शोहरत कोई हर्ज़ नहीं ।
' रवीन्द्र '
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किसी की शख्शियत की असल पहचान नहीं,
दीवार मेरे घर की है दर की इसे दरकार नहीं,
लिखता हूँ इसपे ख्याल वो मुझ में मौजूद नहीं,
है यहाँ बाबत शौक औ' शोहरत कोई हर्ज़ नहीं ।
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