Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एक तितली, एक सुमन

 

 

ek titli

 

दो जीव,
एक उपवन,
एक स्थावर,
दूसरा चेतन ।

 

 

पहला पाया,
सुगंध औ' मकरंद,
दूसरे के पास,
हुनर औ' पंख,
फ़ैलाने के लिए,
महक औ' आनंद।

 

 

परस्पर हुआ,
विनिमय विमर्श,
प्रेम आमंत्रण,
मधुर वार्ता,
अधर स्पर्श,
क्षणिक आलिंगन ।

 

 

सहमति सहर्ष,
जग हितकारी,
विरह- अवलंब,
प्रसन्न मन,
दोनों करते,
सुधा वितरण ।

 

 

दो जीव,
एक उपवन,
एक तितली,
एक सुमन ।

 

 

' रवीन्द्र '

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