ना फ़र्ज़-ए-मुहब्बत निभाते,
हम भी तुम्हें भुला पाते,
… काश तुम पराये हो जाते ।
नज़र अपनी उठा पाते,
सुकूँ दिल का जरा पाते,
… काश तुम पराये हो जाते ।
पाकर होश, गवांये अपने,
आशियाँ फिर नया बनाते,
… काश तुम पराये हो जाते ।
ख़ता-ए-दिल हम बताते,
ज़माने को भी समझाते,
… काश तुम पराये हो जाते ।
फ़साना-ए-ज़फ़ा सुनाते,
न ग़ाफ़िल-जहाँ कहलाते ।
… काश तुम पराये हो जाते ।
' रवीन्द्र '
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