Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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' हयात '

 

थोड़ी सी तड़प औ' कुछ प्यास लिए,
आये थे क़रीब, बिखरे लम्हात लिए,
अंजान मुसाफ़िर, बन गये हम-सफ़र,
मंज़िल का तसव्वुर में अहसास लिए ।

 

 

जीवन में उमंग और उल्लास लिये,
चलते रहे , हसरतों को साथ लिये,
सजाये थे हमने इन आँखों में मगर,
तराशा हक़ीक़त को तेरा ख्वाब लिये ।

 

 

राह गुजरेगी तबस्सुम-ओ-शाद लिए,
हो जायेगी रोशन, जलाये जा तू दिये,
बुझेगी ये प्यास, तड़प भी होगी ख़त्म,
पाया है तुझे, प्याला -ए- हयात लिये ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

 

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