सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।
रंगा पुता छोरा आयो,
दिखता नंदकिशोर है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।
मोरा रंग चुरावन लागा,
लगता रंगों का चोर है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।
मोरी माखन मटकी टूटत,
छुटत दामोदर की डोर है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।
रंग आपुनो लगाके भाजे,
रंगीला रण - छोड़ है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।
भरमाये बौराए मनवा,
सजनवा ये चित्तचोर है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।
' रवीन्द्र '
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