Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

होली की भोर

 

सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।

 

रंगा पुता छोरा आयो,
दिखता नंदकिशोर है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।

 

मोरा रंग चुरावन लागा,
लगता रंगों का चोर है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।

 

मोरी माखन मटकी टूटत,
छुटत दामोदर की डोर है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।

 

रंग आपुनो लगाके भाजे,
रंगीला रण - छोड़ है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।

 

भरमाये बौराए मनवा,
सजनवा ये चित्तचोर है ।
सजन गली में शोर है,
होली की ये भोर है ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ