Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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होली

 
  • बौराये, मेरे नैन सजन, तेरे नैनन की चितवन से,
    डोले फिरते, ढूँढे तुझको, होली खेलें जनमन से ।

 

  • नैना तो हो गये बावरे, प्रेम विह्वल हो जायें,
    मैले मन से छीन कर , श्यामल रंग लगायें ।

 

 

Ravindra

 

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