Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हम - तुम

 

तेरे हर अफ़साने में,
मेरी भी कहानी है,
जिंदगी बची जितनी,
मिल के बितानी है ।

 

तू आस जीवन की,
चेहरा भी नूरानी है,
तुझ से जो बांधा है,
वो बंधन रूहानी है ।

 

पल में बिसर जाती,
ख्वाबों की तू रानी है,
जीवन को महकाती,
तेरी याद सुहानी है ।

 

पाया था तुझे मैंने,
हुई बात पुरानी है,
है प्यार जगा फिर से,
ये दिल की जुबानी है ।

 

मेरी कतरा-ए-रूह में,
बसी तेरी निशानी है,
आयी तेरी ही ख़ातिर,
मेरे लहू में रवानी है ।

 

वक़्त का ये दरिया है,
हम तुम बहती धारें हैं,
लेना क्या दुनिया से,
बस नज़रें चुरानी हैं ।

 

उन आँखों से कह दी,
इक़रार की बानी है,
इश्के-वफ़ा का जिनसे,
बहता हुआ पानी है ।

 

तक़दीर पे तोहमद क्यूँ,
वो तो तेरी दीवानी है,
जीवन की घड़ियाँ तो,
तेरे कदमों में बितानी हैं ।

 

पहलू में तेरे आ कर,
नई तक़दीर बनानी है,
लम्हें न मिले फुर्सत के,
मशरूफ जिन्दगानी है ।

 

उल्फत के मौसम में,
ये सोच बहानी है,
नफरत का मतलब तो,
उम्र करनी बेगानी है ।

 

दुःख पाये जीवन की,
यादें अब भुलानी हैं,
साथ है सुख-दुःख का,
कसमें भी निभानी हैं ।

 

बिन तेरे यहाँ मेरी,
हर शाम वीरानी है,
ज़िन्दगी बची जितनी,
मिलजुल के बितानी है ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

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