तेरे हर अफ़साने में,
मेरी भी कहानी है,
जिंदगी बची जितनी,
मिल के बितानी है ।
तू आस जीवन की,
चेहरा भी नूरानी है,
तुझ से जो बांधा है,
वो बंधन रूहानी है ।
पल में बिसर जाती,
ख्वाबों की तू रानी है,
जीवन को महकाती,
तेरी याद सुहानी है ।
पाया था तुझे मैंने,
हुई बात पुरानी है,
है प्यार जगा फिर से,
ये दिल की जुबानी है ।
मेरी कतरा-ए-रूह में,
बसी तेरी निशानी है,
आयी तेरी ही ख़ातिर,
मेरे लहू में रवानी है ।
वक़्त का ये दरिया है,
हम तुम बहती धारें हैं,
लेना क्या दुनिया से,
बस नज़रें चुरानी हैं ।
उन आँखों से कह दी,
इक़रार की बानी है,
इश्के-वफ़ा का जिनसे,
बहता हुआ पानी है ।
तक़दीर पे तोहमद क्यूँ,
वो तो तेरी दीवानी है,
जीवन की घड़ियाँ तो,
तेरे कदमों में बितानी हैं ।
पहलू में तेरे आ कर,
नई तक़दीर बनानी है,
लम्हें न मिले फुर्सत के,
मशरूफ जिन्दगानी है ।
उल्फत के मौसम में,
ये सोच बहानी है,
नफरत का मतलब तो,
उम्र करनी बेगानी है ।
दुःख पाये जीवन की,
यादें अब भुलानी हैं,
साथ है सुख-दुःख का,
कसमें भी निभानी हैं ।
बिन तेरे यहाँ मेरी,
हर शाम वीरानी है,
ज़िन्दगी बची जितनी,
मिलजुल के बितानी है ।
' रवीन्द्र '
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