Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इफ़रात

 


तसव्वुर में तड़प -ए- आगाज़ के बाद,
याद बहुत आती है, मुलाक़ात के बाद ।

 

आगोश में चाँदनी, महताब के साथ,
हैं अश्क़ों में नयन, बरसात के बाद ।

 

पल पल की तड़प, इस आस के साथ,
कभी होगा मिलन, इन हालात के बाद ।

 

मिलने का जतन, एहतियात के साथ,
रुसवा है चमन , फ़िरआक के बाद ।

 

कही है ग़ज़ल, दिले- नाशाद के साथ,
है शबनम से भरी, सहर रात के बाद ।

 

ग़िला अब यादों की, इफ़रात के साथ,
पुर- सुकूं न 'रवि', इस बारात के बाद ।

 

 

 

( फ़िरआक = फ़िराक़ = Seperation , अलगाव; इफ़रात = plenty of, प्रचुरता )

 

 

' रवीन्द्र '

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