खिज़ां रास्ते का पत्थर, मंज़िल मेरी बहार है,
प्यार करना पत्थरों से, ये मुझे इख़्तियार है ।
' रवीन्द्र '
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खिज़ां रास्ते का पत्थर, मंज़िल मेरी बहार है,
प्यार करना पत्थरों से, ये मुझे इख़्तियार है ।
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