Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ईमान से

 

जिंदगी ने नवाज़ा है जिसे, बड़े ही शोख एहतेराम1 से,
सोच में हूँ हुनर2 का वो तीर चलाऊँ किस कमान से.

 

ज़हर जो दिया ज़माने ने, लगा रखा है दिलोंजहन से,
तब्दील कर आबे-हयात3 में, निकले तो सही जुबान से.

 

इत्मिनान हुआ है हासिल, तेरी गुफ्तगुं4 ताल्लुकात से,
भूल सकता हूँ सब मगर, भुलाऊँ तो किस के ख्याल से.

 

है मालूम तुझे बन्दे की हर घडी हर पल का मिज़ाज,
ना कुछ करे फिर भी तो, क्या फिरा तू अपने रहमान5 से.

 

थक कर गिर चुकीं हैं पलकें तेरे इंतजार में मेरे मौला,
गिरी आँखों से करूं दीदार, तो गिर ना जाऊं ईमान से.

 

दीवाने को कब ज़रुरत किसी बुलावे या इश्तेहार की,
चला आया 'रवि' तेरी बज़्म6 में इसी दमे - ख्याल से.

 

 

1- Respect, इज्जत ,
2- capability, telant for public good , विद्या
3- अमृत , जीवन दायक / हितकारी
4- conversation, बात - चीत
5-mercifulness, दयालुता
6- Party of invitation/ get - to - gether,

 

 

'रवीन्द्र'
मुंबई.

 

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