इत्तेफ़ाक़ गम और ख़ुशी, इंसानियत हवा का झोंका,
निभा दी रस्म-ए-परस्तिश, मिला जब ज़रा सा मौका ।
रवीन्द्र कुमार गोयल
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इत्तेफ़ाक़ गम और ख़ुशी, इंसानियत हवा का झोंका,
निभा दी रस्म-ए-परस्तिश, मिला जब ज़रा सा मौका ।
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