Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इन्तेज़ार

 

 

मुअत्तल जहाँ और हसरतों की बहार से,
मुअत्तर जब से तेरी, यादों की बहार से हूँ ।

 

 

हरदम रहा ग़ाफ़िल, फ़िरदौस मुहब्बत यहाँ,
शामिल मैं भी उस काफिले- गुनहगार में हूँ ।

 

 

मिलता है वही, है बाकी जिसका हिसाब,
बेपरवाह अब हर, सवाल-ए-नागवार से हूँ ।

 

 

गिरफ़्तार यहाँ, अज़ल के कारोबार में,
महबूब करना यकीं, मैं तेरे प्यार में हूँ ।

 

 

रहता जहाँ में, मुहब्बत के इख़्तियार से,
ऐ कज़ा जब से , मैं तेरे इन्तेज़ार में हूँ ।

 

 

( फ़िरदौस = paradise; इख़्तियार = in possession of; मुअत्तल = Suspended; मुअत्तर = Perfumed; कज़ा = अज़ल = death, )

 

 

' रवीन्द्र '

 

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