Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इंतज़ार

 

जुबां से निकली तो, कुछ और समझ आएगी,
बात दिल की है सही, ज़रा देर समझ आएगी,
नज़र उनसे है मिली , जो ले कर गुमाँ बैठे हैं,
सहर-ए-ज़िन्दगी यूँ ही, सफ़र में गुज़र जायेगी ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

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