भरा दिलों में जोश है,
लब मग़र ख़ामोश है,
जश्ने - आज़ादी में,
हुए सब मदहोश हैं ।
उमंगों में उड़ान,
इरादतन ठोस है,
दमदार है हुकूमत,
हुआ अब संतोष है ।
सादगी की चलन,
अर्श बंद आगोश है,
जहाँ है क़दमों तले,
उड़ाये सबके होश हैं ।
करीबियों से मिलन,
बैरियों पर रोष है,
आसमां पे तिरंगा,
कर रहा जयघोष है ।
' रवीन्द्र '
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