गिरिधर गिरि कनि पे उठायो,
शेस जिमि धरनि सिर धारो ।
ब्रजकिशोर संग लाठ लगायो,
सब हर्षित निज धर्म निभायो ।
इन्द्र कुटिल घुटनों पर आयो,
छमा माँग अभय वर पायो ।
धेनु बछल अनुपम सुख पायो,
गोपिका आरत थाल सजायो ।
जै गोविन्द जै गोपाल कहायो,
नंदसुत नाम गिरिधर का पायो ।
जय गोपाल जी की,
सादर समर्पित,
' रवीन्द्र '
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY