Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जय शिवशंकर

 

तमाधिपति रुद्राय, जगत्पते शंकराय,
प्रकट भृकुट मध्ये, आदिसृष्टा ब्रह्माय,
काम नाशाय, धीर नित्य मायासंगाय,
नमामि नित्यं अहं, कैलाशपति शिवाय ।

 

 

पुनः नमामि महेश्वराये,

 

 

' रवीन्द्र '

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