तमाधिपति रुद्राय, जगत्पते शंकराय,
प्रकट भृकुट मध्ये, आदिसृष्टा ब्रह्माय,
काम नाशाय, धीर नित्य मायासंगाय,
नमामि नित्यं अहं, कैलाशपति शिवाय ।
पुनः नमामि महेश्वराये,
' रवीन्द्र '
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तमाधिपति रुद्राय, जगत्पते शंकराय,
प्रकट भृकुट मध्ये, आदिसृष्टा ब्रह्माय,
काम नाशाय, धीर नित्य मायासंगाय,
नमामि नित्यं अहं, कैलाशपति शिवाय ।
पुनः नमामि महेश्वराये,
' रवीन्द्र '
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