Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ज़रा

 

लिखना तो आज, ये दिल बहुत चाहता है,
शौके - शायरी मगर , ज़रा दर्द माँगता है ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

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