Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ज़वाब

 

पैगाम कोई
मुहब्बत का,
लफ्ज़े चिलमन
से झलक आये,

 

गहर इतनी कि
समन्दर भी शर्माये,
अहसास आँखों में
नमी बन उतर आये,

 

जाल अल्फाज़ वही
शायरी सा नज़र आये।

 

 

' रवीन्द्र '

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