Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कायदा

 

सर्दी गर्मी और ये बारिश ना होती,
मिज़ाजे मौसम की तारीफ़ न होती ।

 

अश्कों से अबला न दामन भिगोती,
ग़र ज़ब्र की जहाँ में हुकूमत न होती ।

 

दुनिया में हर तरफ़ परेशानी न होती,
भूख- हाकिम ग़र सिर्फ रोटी की होती ।

 

दर्द औ' गम इश्क़ की मंजिल अनोखी,
ना हो सही तो क्या मुहब्बत न होती ।

 

है गुनाह होना सुखी दर्द दूसरे को देके,
इल्म ये होता तो यहाँ जन्नत न होती ।

 

दुनिया है मौला कायल तेरे कायदे की,
न देता दर्द तो क्या ये इबादत न होती ।

 

 

' रवीन्द्र '

 

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