Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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'ख़ाक'

 

कशमकश में हूँ कि मैं अब क्या करूँ,
तेरी इबादत करूँ कि तेरी पूजा करूँ.

 

डाल ही दे मुँह में सीकरें1 गंगा जल की,
या फिर पिला दे जाम आबे-ज़म-ज़म2 का.

 

करना है फर्क कैसा मिट्टी में या फिर राख़ में
जब मिल ही जाना है बाद चंद रोज़ ख़ाक में.

 


1- drops, 2- holy water of a well in Mucca.

 

 

 

'रवीन्द्र'

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