नरम ख्यालों ने तेरे , तसव्वुर को सहलाया,
मुकम्मल हुई तस्वीर, रंगो का मौसम आया,
महकते अल्फ़ाज़ मेरे, गवाह रहे मुसलसल,
चलो ख्वाब में ही सही, कभी तो तुम्हें चाहा ।
- खुद से खुदी को ,तू ज़ुदा कर ले,
बच गयी ख़ुशी तो, तू खुदा कह ले ।
' रवीन्द्र '
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