Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खुशनसीब

 

 

मुश्किल ये डगर है,
जीवन एक सफ़र है ।

 

सुख दुख की पहर है,
चार पल की ठहर है ।

 

तेरे मेरे का शोर है,
तिमिर घन घोर है ।

 

अरमानों के भंवर है,
धैर्य - प्रेम से सँवर है ।

 

पग बेड़ियाँ पड़ी है,
खुशियां भी खड़ीं है ।

 

मन की पतवार है,
जीवन की हार है ।

 

मन की जो जीत है,
सबसे सच्ची प्रीत है ।

 

तू जिसके करीब है,
वही खुश नसीब है ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

 

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