Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ

 

वात्सल्य की गंगा,
आँखों से बहती है,
जीवन भर साधना,
हर दुःख सहती है ।

 

कर्म ही आराधना,
मातृत्व ही अभीष्ट,
सर्व श्रेष्ठ ही बनना,
' माँ ' यही कहती है ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

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