Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मज़बूर

 

प्यार चाहे तो वो भर पूर ना करे,
निगाहों से अपनी पर दूर ना करे,

 

शब हो रोशन, आमदे-आफ़ताब से,
हक़ीक़त में ऐसा, वो दस्तूर ना करे ।

 

कदम-दर-कदम, उसका साथ चलना,
रफ़ाक़त है माना, पर मशहूर ना करे ।

 

मुंतज़िर रखना, भी फ़ितरत उसकी,
रहने दे बे-क़रार, वो मग़रूर ना करे ।

 

आदत सी पड़ गयी भूल जाने की,
करके मसरूफ़, वो मजबूर ना करे ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

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