प्यार चाहे तो वो भर पूर ना करे,
निगाहों से अपनी पर दूर ना करे,
शब हो रोशन, आमदे-आफ़ताब से,
हक़ीक़त में ऐसा, वो दस्तूर ना करे ।
कदम-दर-कदम, उसका साथ चलना,
रफ़ाक़त है माना, पर मशहूर ना करे ।
मुंतज़िर रखना, भी फ़ितरत उसकी,
रहने दे बे-क़रार, वो मग़रूर ना करे ।
आदत सी पड़ गयी भूल जाने की,
करके मसरूफ़, वो मजबूर ना करे ।
' रवीन्द्र '
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY